भारत में गेहूं सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका, भोजन और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है। हर साल रबी सीजन के आते ही एक ही सवाल फिर से उठता है
क्या बढ़ने वाले हैं गेहूं के दाम?
2025-26 के आर्थिक और कृषि परिदृश्य को देखते हुए, यह सवाल पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक है। सरकार ने हाल ही में गेहूं का MSP ₹2,585 प्रति क्विंटल घोषित किया है, लेकिन क्या इससे किसानों को अधिक दाम मिलेंगे?
क्या घरेलू या वैश्विक बाजार में कीमतें और ऊपर जाएंगी, या स्थिर रहेंगी?
इस लेख में हम तटस्थ रूप से विश्लेषण करेंगे
- भारत और दुनिया में गेहूं की वर्तमान स्थिति gehu ka bhav,
- भविष्य की संभावनाएं
- कीमतों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक,
- और 2025-26 के लिए व्यावहारिक मूल्य पूर्वानुमान।
1. gehun ka bhav, गेहूं का महत्व और हाल के वर्षों में मूल्य प्रवृत्ति
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। हर साल लगभग 10 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होता है, जो घरेलू खपत, सरकारी भंडारण, और निर्यात में जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में गेहूं के भाव में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया।
- 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचीं।
- 2023-24 में सरकार के निर्यात प्रतिबंध और अच्छी फसल के कारण कीमतें स्थिर रहीं।
- अब 2025 में, स्थिति फिर से बदल रही है उत्पादन, मौसम, और अंतरराष्ट्रीय बाजार सभी एक नाजुक संतुलन पर हैं।
2. aaj ka gehun ka rate और MSP स्थिति
भारत सरकार ने 2026-27 के लिए गेहूं का MSP ₹2,585 प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग ₹150 अधिक है। यह कदम किसानों को न्यूनतम लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
वर्तमान में खुले बाजार में गेहूं का औसत भाव ₹2,300 से ₹2,700 प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जो क्षेत्र, गुणवत्ता और आपूर्ति पर निर्भर करता है।
गेहूं का भाव वर्तमान में स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन कई कारक इसकी कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। सरकार ने 2026-27 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाकर ₹2,585 प्रति क्विंटल कर दिया है। हालांकि, खराब मौसम, कम उत्पादन, और वैश्विक बाजार के रुझान कीमतों को बढ़ा सकते हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में अधिक आवक और सरकारी खरीद नीतियां कीमतों को स्थिर रख सकती हैं।
3. वैश्विक गेहूं बाजार की स्थिति (अक्टूबर 2025 तक)
वैश्विक स्तर पर 25 अक्टूबर 2025 तक गेहूं का मूल्य $512.13 प्रति टन है।
यह दर पिछले साल की तुलना में कुछ स्थिर है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह 700 डॉलर के स्तर से नीचे बनी हुई है।
ऐतिहासिक परिदृश्य:
- उच्चतम स्तर (All-time high): $1,340 (4 मार्च 2022)
- न्यूनतम स्तर (All-time low): $225 (13 दिसंबर 1999)
- पिछले 10 वर्षों की औसत कीमत: $450-$700
इससे स्पष्ट है कि गेहूं एक अत्यधिक अस्थिर कमोडिटी है, जो मौसम, युद्ध, और आपूर्ति परिवर्तनों से तुरंत प्रभावित होती है।
4. 2025 के लिए प्रमुख वैश्विक पूर्वानुमान

| स्रोत | अनुमानित औसत मूल्य (USD) | दृष्टिकोण |
|---|---|---|
| Stockscan | $631 | धीरे-धीरे बढ़त |
| WalletInvestor | $693 | स्थिर लेकिन सीमित रेंज |
| GovCapital | $558 | वर्ष के अंत में हल्की वृद्धि |
तीनों एजेंसियों की रिपोर्टें बताती हैं कि 2025 के अंत तक गेहूं की कीमतों में हल्की से मध्यम वृद्धि संभव है, खासकर नवंबर-दिसंबर के महीनों में।
5. तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis)
चार्ट पैटर्न के अनुसार, WHEAT वर्तमान में $519-$623 की रेंज में ट्रेड कर रहा है।
Support level: $519
Resistance level: $623
CCI (Commodity Channel Index) -15 पर है, जो मंदी की गति में कमी दिखाता है।
ADX (Average Directional Index) 10.22 पर है इसका मतलब बाजार अभी range-bound है यानी स्थिर गति में है।
- अगर कीमत $520-$530 के पास आती है, तो खरीदारी के संकेत बन सकते हैं।
- वहीं $610-$620 पर आंशिक लाभ लेना उचित रहेगा।
अगर कीमत $623 के ऊपर निकलती है, तो मध्यम अवधि में तेजी का रुझान संभव है।
6. भारत में उत्पादन और आपूर्ति स्थिति
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 2024-25 का मानसून सामान्य रहा है, लेकिन कुछ इलाकों (मध्य प्रदेश, राजस्थान) में शुरुआती सूखे का असर दिखा।
पंजाब और हरियाणा में फसल अच्छी हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में कुछ क्षेत्रों में देर से बुवाई हुई।
भारत का कुल अनुमानित उत्पादन 109 मिलियन टन के आसपास रहने की संभावना है।
हालांकि, बढ़ती तापमान लहरें और अप्रैल-मई की गर्म हवाएं यदि समय से पहले आती हैं, तो फसल के वजन और गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
7. सरकारी नीतियों का असर
भारत सरकार गेहूं के दाम नियंत्रित रखने के लिए कई कदम उठा रही है:
- निर्यात प्रतिबंध (Export Ban) – ताकि घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनी रहे।
- खुली बिक्री योजना (OMSS) – FCI अपने स्टॉक से खुले बाजार में गेहूं बेचता है।
- भंडारण नीति – FCI और राज्य एजेंसियां लगभग 30 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक रखती हैं।
हालांकि, अगर सरकार OMSS के तहत अतिरिक्त बिक्री करती है, तो बाजार में दाम नीचे जा सकते हैं। वहीं कम उत्पादन या निर्यात छूट मिलने की स्थिति में भाव फिर ऊपर जा सकते हैं।
8. gehun ka bhav मांग और आपूर्ति का समीकरण
भारत में गेहूं की घरेलू खपत करीब 100 मिलियन टन प्रति वर्ष है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा आटा, बिस्किट, ब्रेड, और पशु आहार उद्योग में जाता है।
वर्तमान में:
- वैश्विक अंतिम स्टॉक: 261.5 मिलियन मीट्रिक टन
- उपभोग: 810.6 मिलियन मीट्रिक टन
- आपूर्ति: 1,072.1 मिलियन मीट्रिक टन
- वैश्विक व्यापार मात्रा: 213.1 मिलियन मीट्रिक टन
ये आंकड़े बताते हैं कि मांग-आपूर्ति संतुलन थोड़ा बेहतर है, लेकिन किसी भी मौसमीय झटके से यह असंतुलित हो सकता है।
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9. अंतरराष्ट्रीय कारक जो कीमतों को प्रभावित करते हैं
1. रूस-यूक्रेन युद्ध
दुनिया के लगभग 25% गेहूं निर्यात रूस और यूक्रेन से होता है। युद्ध के चलते कई बार सप्लाई चेन बाधित हुई, जिससे कीमतों में तेजी आई।
2. मौसमीय जोखिम
अत्यधिक गर्मी और सूखा यूरोप, कनाडा और अमेरिका के कई हिस्सों में गेहूं उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं।
3. डॉलर इंडेक्स और वैश्विक Inflation
डॉलर मजबूत होने से कृषि वस्तुओं की कीमतें अक्सर नीचे जाती हैं।
वहीं, यदि वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो गेहूं जैसे खाद्य पदार्थों में निवेश बढ़ता है।
4. ऊर्जा कीमतें
डीजल और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी से फसल लागत बढ़ती है जो अंततः बाजार भाव पर असर डालती है।
10. गेहूं एक रक्षात्मक परिसंपत्ति क्यों है?
अर्थशास्त्र के अनुसार, गेहूं जैसी खाद्य वस्तुएं Inflation Hedge यानी मुद्रास्फीति से बचाव का साधन मानी जाती हैं।
जब बाजार में अस्थिरता या भू-राजनीतिक संकट बढ़ता है, तो निवेशक कृषि कमोडिटीज में शरण लेते हैं।
इसलिए गेहूं की कीमतें कई बार शेयर बाजार की गिरावट के बावजूद स्थिर या बढ़ती हुई दिखाई देती हैं।
11. गेहूं का रेट 2025-26 के लिए मूल्य पूर्वानुमान (Forecast Table)
| महीना | न्यूनतम ($) | अधिकतम ($) |
|---|---|---|
| जुलाई 2025 | 538 | 568 |
| अगस्त 2025 | 553 | 598 |
| सितंबर 2025 | 570 | 623 |
| अक्टूबर 2025 | 562 | 610 |
| नवंबर 2025 | 540 | 580 |
| दिसंबर 2025 | 545 | 590 |
| जनवरी 2026 | 540 | 575 |
| फरवरी 2026 | 560 | 620 |
| मार्च 2026 | 540 | 590 |
| अप्रैल 2026 | 530 | 560 |
| मई 2026 | 500 | 560 |
| जून 2026 | 540 | 590 |
इन अनुमानों के अनुसार, अगले 12 महीनों में कीमतें $500-$620 की रेंज में रहने की संभावना है।
12. निवेश रणनीति और बाजार दृष्टिकोण
वर्तमान $519-$623 रेंज को देखते हुए, ट्रेडिंग के लिए दो स्पष्ट रणनीतियाँ बनती हैं:
$520-$530 पर खरीदारी करें, जब कीमतें सपोर्ट लेवल के पास हों।
$610-$620 पर आंशिक रूप से लाभ बुक करें, क्योंकि यह रेंज रेजिस्टेंस है।
यदि कीमत $623 के ऊपर जाती है और ADX 20 से ऊपर निकलता है, तो मध्यम अवधि के लिए तेजी का ट्रेंड बन सकता है।
13. भारत के लिए 2025-26 का संभावित मूल्य अनुमान (₹ में)
| महीना | न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल) | अधिकतम भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|---|
| दिसंबर 2025 | ₹2,450 | ₹2,700 |
| मार्च 2026 | ₹2,500 | ₹2,800 |
| जून 2026 | ₹2,550 | ₹2,900 |
| सितंबर 2026 | ₹2,600 | ₹3,000 |
यदि मानसून सामान्य रहा और सरकार निर्यात पर प्रतिबंध बनाए रखती है, तो कीमतें ₹2,600-₹2,800 के बीच स्थिर रह सकती हैं।
लेकिन यदि उत्पादन में गिरावट आई या वैश्विक बाजार में तेजी आई, तो ₹3,000+ प्रति क्विंटल के भाव भी संभव हैं।
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14. किसानों और निवेशकों के लिए सलाह
किसानों के लिए:
- फसल बीमा और भंडारण योजना पर ध्यान दें।
- मंडी में बेचने से पहले सरकारी खरीद तिथियों की जांच करें।
- MSP से ऊपर बेचने का मौका तभी लें जब बाजार में पर्याप्त मांग हो।
निवेशकों के लिए:
- गेहूं वायदा (NCDEX) या अंतरराष्ट्रीय ETF के माध्यम से निवेश पर विचार करें।
- मौसम अपडेट और सरकारी नीतियों की नियमित निगरानी करें।
- $520-$530 रेंज पर खरीदारी और $610-$620 पर बुकिंग सुरक्षित रणनीति है।
निष्कर्ष – गेहूं का भाव बढ़ेगा या नहीं?
सभी आंकड़ों और रुझानों को देखते हुए, निष्कर्ष साफ है:
गेहूं का भाव फिलहाल स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन 2026 तक इसमें धीरे-धीरे बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
- MSP में बढ़ोतरी,
- मौसम में अनिश्चितता,
- वैश्विक बाजार की अस्थिरता,
- और ऊर्जा कीमतों में वृद्धि – ये सभी तत्व कीमतों को ऊपर धकेल सकते हैं।
हालांकि, यदि भारत में उत्पादन अच्छा रहा और सरकार निर्यात पर रोक जारी रखी, तो बाजार में अत्यधिक तेजी की संभावना सीमित रहेगी।
1. 2025 में गेहूं का भाव कितना चल रहा है?
अक्टूबर 2025 तक भारत में गेहूं का औसत बाजार भाव ₹2,400 से ₹2,700 प्रति क्विंटल के बीच है।
वहीं वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमत लगभग $512.13 प्रति टन पर ट्रेड हो रही है। भाव क्षेत्र, गुणवत्ता और सरकारी खरीद नीतियों के अनुसार थोड़ा बदल सकता है।
2. क्या 2026 में गेहूं का भाव बढ़ेगा?
हाँ, 2026 तक गेहूं के दामों में हल्की बढ़ोतरी की संभावना है।
सरकार द्वारा MSP ₹2,585 प्रति क्विंटल तय किए जाने के बाद, यदि उत्पादन घटा या मौसम प्रतिकूल रहा तो कीमतें ₹2,800-₹3,000 प्रति क्विंटल तक जा सकती हैं।
हालाँकि, अगर फसल अच्छी हुई और सरकार ने निर्यात पर रोक जारी रखी, तो दाम स्थिर रहेंगे।
3. गेहूं के भाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण कौन से हैं?
गेहूं की कीमतें निम्नलिखित मुख्य कारणों से प्रभावित होती हैं:
- मौसम (तापमान, वर्षा, सूखा)
- सरकारी नीतियाँ (MSP, निर्यात प्रतिबंध, FCI खरीद)
- वैश्विक बाजार (रूस-यूक्रेन युद्ध, डॉलर इंडेक्स, आपूर्ति शृंखला)
- मांग और आपूर्ति (घरेलू खपत, निर्यात ऑर्डर)
- ऊर्जा और परिवहन लागत
4. क्या अभी गेहूं बेचने का सही समय है?
यदि आपके क्षेत्र में मंडी भाव MSP से ऊपर चल रहे हैं (₹2,600+), तो यह बेचने के लिए उपयुक्त समय माना जा सकता है।
लेकिन यदि मौसम खराब होने के कारण फसल में कमी आने की संभावना है, तो 2-3 महीने प्रतीक्षा करने पर अधिक दाम मिल सकते हैं।
फिर भी, यह निर्णय स्थानीय बाजार परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
5. क्या गेहूं में निवेश (ट्रेडिंग) करना सही रहेगा?
गेहूं एक रक्षात्मक कमोडिटी है, जो मुद्रास्फीति या बाजार अस्थिरता में स्थिर रिटर्न दे सकती है।
निवेशक MCX या NCDEX पर वायदा सौदों के माध्यम से इसमें निवेश कर सकते हैं।
तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, $520-$530 के स्तर पर खरीदारी और $610-$620 के आसपास लाभ बुक करना उचित रणनीति है।

Chirag Vaishnav is a finance enthusiast with deep knowledge of the stock market, investment strategies, and financial planning. He has spent years studying market trends, company fundamentals, and global economic movements. Coming from a background rooted in business and finance, Chirag is passionate about helping people make smarter investment decisions and achieve financial freedom. Through his insightful blogs, he simplifies complex financial concepts and shares practical tips for beginners and experienced investors alike. Many readers trust his analysis and guidance to navigate the ever-changing world of stocks and investments.





